Monday, July 11, 2022

इस बार जब मिलूँगी तुझसे

इस बार जब मिलूँगी माँ,सिर्फ़ तेरी बेटी बनकर मिलूँगी ,

बाक़ी सारे रिश्ते,सारी उम्मीदें सब से दूर हटकर मिलूँगी।

तुम ना याद दिलाना मुझे मेरी ज़िम्मेदारियाँ,

रहने देना सिर्फ़ तुम्हारी बेटी बनकर

बहुत सी बातें बतानी है,बहुत कुछ कहना है,

पर सबसे पहले पूछना है,”कैसी हैं तू माँ ?”

माँ  जैसी अच्छी बनने की कोशिश में माँ से ही दूर हो बैठी ,

भूलने चली हूँ तेरा स्पर्श,बहुत दिन हो गए माँ ….

एक बार फिर मैं पूरी रात सोना चाहती हूँ ,

और आँखें खुले मेरी,तेरी आवाज़ देने के बाद